New year 2023: एक जनवरी

 साल 2022बीत चुका है, न्यू साल की शुरुवात भी हों चुकी हैं, दिसम्बर 2022, समाप्त होते ही नए दिन के साथ हर घर में,  नए कैलेंडर आ चुके है

          नया महीना,नया साल लेकर आया, है,

           सिर्फ़ अपने देश में ही नहीं बल्की दुनिया के सभी देशों में, 

           एक जनवरी कि पहली तारीख से नए साल का प्रारम्भ होता है, भले ही तमाम देशों का , सौभाव, रंग रूप, रीति रिवाज अलग अलग हों प्रथाएं अलग हो

           पर, तमाम देश मिल जुल कर एक जनवरी के दिन हैप्पी न्यू इयर मनाते है,                                 

New year 2023: एक जनवरी

   नए साल का व्हेलकम करते है, और पुराने साल को विदा करते है, एक दुसरे को नव वर्ष कि सुभकामनाएं देते है, पर कभी भी आप सब ने यह सोचा है, की नया दिन एक जनवरी को ही क्यों आता है,

            या नव वर्ष मानने की परम्परा किसने सुरु की और क्यों सुरु की, और क्या सभी देशों में, भारत देश की तरह ही नया साल मनाया जाता है,।

            चलिए आज हम जानते हैं,।

     नव वर्ष का इतिहास ,और जनवरी की पहली तारीख, नव वर्ष मनाने के कारण,

     एक जनवरी को नव वर्ष मनाने कि शुरूवात हुई,इसी जनवरी महीने से , नव वर्ष कि शुरूवात हुई है,  200, वर्ष पहले नव वर्ष एक जनवरी को नही मनाया जाता था,  बाकी देशो मे अलग अलग दिन को नव वर्ष मनाया जाता था,

         आपको शायद पता नहीं होंगा, कभी पच्चीस मार्च को नव वर्ष का जश्न मनाया जाता था, कुच लोग,तो, कभी पच्चीस दिसम्बर को नव वर्ष मनाथे थे,

         लेकिन कई वर्ष बाद बदलाव हुआ, और एक जनवरी को नव वर्ष मनाया जाने लगा था,

          इस अदल बदल की शुरूवात, रोम देश से सुरू हुई थीं,

          जहा के राजा, नुमा पोन्पिलस,ने रोमन कैलेण्डर मे बदलाव किया था,

              इस कैलेंडर के आने से जनवरी के पहले ही दिन, नव वर्ष एक जनवरी, को मनाया जाने लगा,

आज मैं आपको बताऊंगा जनवरी नाम कैसे पड़ा, वर्ष,के जनवरी महीने को पहिले जानूस कहा जाता था, इसी के नाम पर जनवरी नाम पड़ा, इसके बाद जानूस को जनवरी बोला जाने लगा,

    पहले एक वर्ष, दस महीने का होता था ,200, वर्ष पहले इजाद कैलेण्डर मे 10ही महीने होते थे,

          बाद मे, बारह महीने का साल होने लगा था,जिनमे जानुस के अतिरिक्त मार्स नाम का भी एक महीना होता था,

          मार्स,  क्षत्रिय लोगो का युद्ध देवता माना जाता था बाद मे मार्स को मार्च बोला जाने लगा,

        वर्ष मे 365, दीन हि क्यों होते है,? जब वर्ष मे 10, महीने हुआ करते थे, तब साल भर मे 310, दीन हि होते थे, तब के दिनों मे एक सप्ताह मे आठ, दिन माने जाते थे,

वैसे तो रोम के शासक कर्ता ने, जूलियस सीजर ने, रोमन कैलेण्डर मे बदलाव किया था,

       जिसके बाद बारह महीने का वर्ष हो गया जिसमे 365, दीन निश्चित किए गए थे

सीजर, ने खगोलविदों, से सिखा की, प्रथ्वी 365दिन और 6, घण्टे मे सुर्य कि परिक्रमा करती है, इसलिए रोम के शासक ने वर्ष के दिनों को बढ़ा दिया, तभी से वर्ष कि शुरूवात, एक जनवरी से हुई,

    भारत में नव वर्ष कब होता है,वैसे देखा जाए तो, सम्पूर्ण विश्व मे, 31,दिसम्बर कि आधी रात के बाद हि कैलेण्डर बदल जाते हैं,

   और जनवरी से नव वर्ष चालू हो जाता हैं लेकिन इन्डिया के लोग, रीति रिवाजों को मध्य रखकर, अलग अलग दिन को, नव वर्ष मनाते है,

 पंजाब मे बैसाखी के त्योहार पर, नव वर्ष कि शुरूवात होती हैं, जो तेरह अप्रैल को आती हैं,

      वही सीख अनुयाई नानकशाही, के कैलेण्डर अनुसार मार्च मे होलिका दहन के दूसरे दिन से नव वर्ष मनाने की सुरूवात करते है,

  वैसे ही जैन धर्म के अनुयाई दिवाली के दूसरे दिन, नव वर्ष मनाने की शुरूवात करते है,

सके अतिरिक्त हिन्दूओ मे, नया साल,चैत्र प्रतिप्रदा या गुड़ी पाड़वा के दिन से मनाया जाता हैं,,

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