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भक्ति से मिलते है भगवान,

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         भक्ति से मिलते है भगवान         धार्मिक स्थलो के मंदिरों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्सव बहुत धूम - धाम से मनाया जा रहा था ।        बाल , वृद्ध , युवा , स्त्री पुरुष  इस उत्सव को मनाने के लिए आए थे,      श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाने    एक भव्य मंदिर, में सभी एकत्रित हुए थे । रात्रि के बारह बजते ही भगवान के प्रकट होने की घोसना, हुईं,         और उसी के साथ देवालय में घंटा - घड़ियाल , शंख , ढोल , मृदंग आदि एक साथ बज उठे ।       वहाँ उपस्थित सभी भक्त गण भगवान के प्राकट्य की खुशी में ढोल , मृदंग की थाप के साथ नृत्य करने लगे ।           सबके आनंद की कोई सीमा न थी । घंटों सभी नृत्य - गान में डूबे रहे । उसी बीच पूर्ण विधान के साथ भगवान का अर्चन , वंदन , पूजन भी होता रहा । एक बार फिर से घंटा - घड़ियाल , ढोल , मृदंग , शंख बज उठे ।                 भावविभोर होकर सबने भगवान की आरती उतारी । उसके बाद, भगवान को अर्पित छप्पन • प्रकार के भोगों को वहाँ उपस्थित भक्तों , श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में वितरित किया गया            उन्हीं श्रद्धालुओं में रंगनाथ भी शामिल थे ,  जो प्रसाद पाकर अब अपने गं

New year 2023: एक जनवरी

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  साल 2022बीत चुका है, न्यू साल की शुरुवात भी हों चुकी हैं, दिसम्बर 2022, समाप्त होते ही नए दिन के साथ हर घर में,  नए कैलेंडर आ चुके है           नया महीना,नया साल लेकर आया, है,            सिर्फ़ अपने देश में ही नहीं बल्की दुनिया के सभी देशों में,             एक जनवरी कि पहली तारीख से नए साल का प्रारम्भ होता है, भले ही तमाम देशों का , सौभाव, रंग रूप, रीति रिवाज अलग अलग हों प्रथाएं अलग हो            पर, तमाम देश मिल जुल कर एक जनवरी के दिन हैप्पी न्यू इयर मनाते है,                                       नए साल का व्हेलकम करते है, और पुराने साल को विदा करते है, एक दुसरे को नव वर्ष कि सुभकामनाएं देते है, पर कभी भी आप सब ने यह सोचा है, की नया दिन एक जनवरी को ही क्यों आता है,             या नव वर्ष मानने की परम्परा किसने सुरु की और क्यों सुरु की, और क्या सभी देशों में, भारत देश की तरह ही नया साल मनाया जाता है,।             चलिए आज हम जानते हैं,।      नव वर्ष का इतिहास ,और जनवरी की पहली तारीख, नव वर्ष मनाने के कारण,      एक जनवरी को नव वर्ष मनाने कि शुरूवात हुई, इसी जनवरी महीने से , नव वर्ष कि

बादशाह,, अकबर के नौ रत्न

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      अकबर के नौ रत्न्। में से,  बा दशाह अकबर का पहला  रत्न                  ( 1 ),,अबुल फजल,   इनका  सरनेम, इब्न मुबारक था,      अबुल फजल का जन्म  , 1551_मे आगरा में हुआ था, और इनका देहान्त 1602, मे हुआ था  अकबर के शासन. काल कि सभी घटना ओ का वर्णन लिखा करता था, इन्होंने अकबरनामा, और आईना _ए _अकबरी, नामक, पुस्तक कि रचना की थी,.         लेकिन किसी कारण वस , इनकी हत्या अकबर पुत्र, सलीम, ने करवाई थी,                विरसिंग बुंदेलत के जरिए , अबुल फजल ने, पंचतंत्र, नाम कि पुस्तक का फारसी अनुवाद,.          अनवर_ए _सादात,.नाम से कीया , था            अबुल फजल के पिताजी का नाम, शेख मुबारक था,. इन्होंने 1579, ई °मे,महाजरनामा नाम की लिखित रूप रेखा तैयार की, इसको फिर अकबर ने समस्त प्रजा में जारी कर दिया                              ( 2 ), फैजी, फैजी,। जिनका  जन्म 24सितम्बर 1547 मे  आगरा में,हुआ था_ मृत्यु , 5अक्टूबर 1595, में लाहौर मे हुई थी,          फैजी अबुल फ़ज़ल के बड़े भाई थे, जो कि फारसी भाषा में कविता लिखा करते थे, इन्हे अकबर ने, अपने बेटे सलीम के, गणित शिक्षक के रूप मे चुना था,।    शेख अब