भक्ति से मिलते है भगवान,
भक्ति से मिलते है भगवान धार्मिक स्थलो के मंदिरों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्सव बहुत धूम - धाम से मनाया जा रहा था । बाल , वृद्ध , युवा , स्त्री पुरुष इस उत्सव को मनाने के लिए आए थे, श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाने एक भव्य मंदिर, में सभी एकत्रित हुए थे । रात्रि के बारह बजते ही भगवान के प्रकट होने की घोसना, हुईं, और उसी के साथ देवालय में घंटा - घड़ियाल , शंख , ढोल , मृदंग आदि एक साथ बज उठे । वहाँ उपस्थित सभी भक्त गण भगवान के प्राकट्य की खुशी में ढोल , मृदंग की थाप के साथ नृत्य करने लगे । सबके आनंद की कोई सीमा न थी । घंटों सभी नृत्य - गान में डूबे रहे । उसी बीच पूर्ण विधान के साथ भगवान का अर्चन , वंदन , पूजन भी होता रहा । एक बार फिर से घंटा - घड़ियाल , ढोल , मृदंग , शंख बज उठे । भावविभोर होकर सबने भगवान की आरती उतारी । उसके बाद, भगवान को अर्पित छप्पन • प्रकार के भोगों को वहाँ उपस्थित भक्तों , श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में वितरित किया गया उन्हीं श्रद्धालुओं में रंगनाथ भी शामिल थे , जो प्रसाद पाकर अब अपने गं