चक्रवर्ती तूफ़ान ...

                कहानी,:~ चक्रवर्ती तूफ़ान              राजस्थान के उत्तर दिशा की तरफ , रामदयाल, नाम का एक किसान खेती किया करता था, 
       राजस्थान की उत्तरी दिशा में , बहुत उपजाऊ जमीन थीं, फसल भी बहुत होती थी,।
लेकिन नुकसान की ज्यादा संभावना होती थीं, उस इलाके में बहुत जोरदार हवा चलती रहती थीं
       सबसे ज्यादा तो चक्रिये हवाये चलती रहती थीं रामदयाल को  खेत में काम करने वाले मजदूरों की      जरूरत पड़ती रहती थीं,           
  तूफ़ानी हवा की वजह से रामदयाल के खेत में काम करने के लिए कोई भी मजदूर  नहीं आता थां,           
  वो हमेशा मजदूर ढुंढता रहता था,लेकिन उसे मजदूर मिलते नहीं थें, 
 मजदूर काम करने से पहले लोगों से,  पूछ लिया करते थे,  रामदयाल ने परेशान होकर , शहर के चौराय ,पर पोस्टर चिपका दिए,
     उस पोस्टर पर लिख दिया थां की। मजदूरों की आवश्कता है, 
      उन   पोस्टरो को पड़कर रामदयाल के पास, शहर से गांव से, बहुत से मजदूर आते थें,
 परन्तु, चक्रीय तूफान के बारे में, सुनकर अपने अपने गांव शहर वापस चले जाते थें ।,
    आखिर कार एक गरीब बोना दुबला पतला सा ५० की उम्र का व्यक्ती पता पूछते हुए रामदयाल के पास पहुंच जाता हैं, रामदयाल ने उस बोने आदमी से पूछा कि क्या तुम इस तूफ़ान भरे मौसम में काम कर सकते हो, उस बोने आदमी ने सर हिलाते हुए, हां में उत्तर दिया, और बोला,          लेकिन मै, तूफ़ान के आने पर,कोई काम धाम नहीं करता , आराम फरमाता हूं, 
       रामदायल को उसकी बात, कुच उच्पटांग  सी लगी फिर भी काम करने वाला कोई मज़दूर नहीं मिल रहा था, तो उसे काम पर रख लीया,। 
वह बोना मजदूर बहुत ही मेहनती निकला, वह सुबह से श्याम तक खेतो मे काम करता था, रामदयाल उसके काम से बहुत खुश थां,। अब पांच ही दिन बीते थें, 
   की सातवे दिन की रात को, भयंकर जोरदार हवा आई ,      चक्रीय तूफ़ान, आने लगा, रात की दूसरी पहर थीं,
 रामदयाल,भी नींद से जाग गया, वो समझ गया थां,
 कि अब चक्रीय, तूफ़ान आने वाला है,।
  ये तूफ़ान,खेत मे, पड़े हुए माल को तीतर, बितर कर देगा,
       रामदयाल, नींद से उठा, हाथो, में,बहुत बड़ा लालटेन  दिया पकड़ा, जिसको हम लोग कंदील बोलते है,।और बोने आदमी के झोपड़ी की तरफ भागने लगा, 
       झोपड़ी में पहुंच कर, जल्दी उठो ,जल्दी उठो, दिख नहीं रहा है, चक्रीय तुफान आ रहा है ,। ऐसा चिल्ला ,चिल्ला कर वो बोने आदमी से कहने लगा,
      चक्रीय तूफ़ान यहां तक पहुंच ने से पहले , तुम फसल को बांध दो, और उसे अच्छी तरह से ढक दो, 
        अनाज के गोदामों को अच्छी तरह से, त्रिपाल रस्सी से बांध लो,
 भगवान ना करे,अगर वह तूफान यहां तक पहुंच गया तो सब कुच उलट पलट कर देगा, बोना मजदूर,
 यह बात सुन कर बड़े आराम से, उठा और कहने लगा नही उठूंगा,
 मैने आपसे पहले ही कह दिया था, कि जब, चक्रीय तूफान आता है, तो मैं, आराम करता हूं, 
       यह बात सुन कर, रामदयाल, आग बबूला हो गया, उसे इतना गुस्सा आया की इस आदमी को लकड़ी से पिटू, ऐसा रामदयाल का मन कर रहा थां,।
  परन्तु उसने ऐसा नहीं किया,वो अपने,खेतो की चीजे बचाने के लिए,                   

                                   
चक्रीय तूफ़ान में बोना आदमी




         
      इधर उधर भागा , भागकर देखा कि, सभी फसल रस्सी से बांधी हुई थीं , खेतो का अनाज ढका हुआ
    था , मुर्गी के पिंजरे अच्छे से कसे हुए थें, बाड़े का गेट, बंधा हुआ था, यह सब देखकर रामदयाल चौक गया, थां,
    उसे माल की, नुकसानी,होने का,कोई डर नहीं था, रामदयाल,भी चैन की नींद,अब छो सकता था, 
 उसे उस बोने आदमी की, वो बात, अब याद,
   आ रही थीं, 
की,जब चक्रीय तुफान आता है, तो मैं आराम करता हूं,।,
       तो मित्रो, हमारी  जिन्दगी में भी कुच,ऐसे ही तूफ़ान, ऐसे ही प्रलय आते रहते हैं ,
    हम, लोगो को,उस बोने आदमी की तरह ,पहले से ही तूफ़ान, से बचने की तैयारी कर लेनी चाहिए,,
         जैसे की कोई विद्यार्थी परीक्षा आने से पहले ही अभ्यास करता है,। तो उसे परीक्षा के समय ज्यादा चिन्ता करने की जरूरत नहीं पड़ती,
       पैसा बचाने वाले लोग , कितनी भी मुस्किले आने पर पैसे की जरूरत पड़ने पर, बेफिक्र होकर चैन से रह सकते है, । 
तो, आज से ही,  हम, भी कुच, ऐसा ही करते हैं, 
      चक्रीय, तुफान, आता है,। तो मैं, आराम करता हू,
                     


कहानी समाप्त 
                            लेखक~:भोजराज गोलाइत

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